Transfer: अनिवार्य स्थानांतरण के तहत 15% कार्मिकों के ही होंगे स्थानांतरण तो अनुरोध के आधार पर अधिकतम सीमा के अतिरिक्त भी हो सकेंगे ट्रांसफर
उक्त आशय को लेकर आज शासन ने स्पष्ट गाइडलाइन निर्धारित कर दी है। अपर सचिव उत्तराखण्ड शासन ललित मोहन रयाल ने उक्त आशय के निर्देश जारी करते हुए कहा है कि -
उपर्युक्त विषयक कार्मिक एवं सतर्कता विभाग, उत्तराखण्ड शासन के शासनादेश संख्या-1 115324 / 2023 दिनांक 18.04.2023 का सन्दर्भ ग्रहण करने का कष्ट करें, जिसके माध्यम से वर्तमान स्थानान्तरण सत्र 2023-24 हेतु वार्षिक स्थानान्तरण अधिनियम, 2017 की धारा 23 के अन्तर्गत प्रत्येक वर्ष सामान्य स्थानान्तरण हेतु निर्धारित समय-सारिणी के अनुसार स्थानान्तरण की कार्यवाही करने के निर्देश निर्गत किये गये हैं।
2- उक्त के सन्दर्भ में मुझे यह कहने का निदेश हुआ है कि शासन द्वारा सम्यक विचारोपरान्त लोक सेवकों के लिए वार्षिक स्थानांतरण अधिनियम, 2017 के सन्दर्भ में वर्तमान स्थानांतरण सत्र 2023-24 हेतु विभागान्तर्गत प्रत्येक संवर्ग में स्थानांतरण की अधिकतम सीमा को 15 प्रतिशत तक सीमित रखने का निर्णय लिया गया है। अतः उक्तानुसार वर्तमान स्थानान्तरण सत्र हेतु निर्धारित 15 प्रतिशत स्थानान्तरण की सीमा को पात्रता सूची में आने वाले कार्मिकों का 15 प्रतिशत समझा जाए. किन्तु स्थानान्तरण अधिनियम की धारा 17 (1) (ख) की श्रेणी (एक). (दो) एवं (तीन) से आच्छादित कार्मिकों के अनुरोध के आधार पर स्थानान्तरण अधिकतम सीमा के अतिरिक्त किये जा सकेंगे अर्थात् प्रत्येक विभागान्तर्गत स्थानान्तरण अधिनियम की धारा 17 (1) (ख) की श्रेणी (एक). (दो) एवं (तीन) से आच्छादित कार्मिकों के अनुरोध के आधार पर स्थानान्तरण हेतु प्राप्त प्रत्यावेदन में से अर्ह कार्मिकों के प्रत्यावेदनों की संख्या / सीमा तक सुगम श्रेणी से दुर्गम श्रेणी में अनिवार्य स्थानान्तरण हेतु पात्र कार्मिकों को तैयार की गयी सूची में उपलब्ध कार्मिकों को अनिवार्य रूप से स्थानान्तरित किया जायेगा।
3- उक्त के अतिरिक्त मुझे यह भी कहने का निदेश हुआ है कि स्थानान्तरण अधिनियम की धारा 3(घ) में स्पष्ट रूप से उल्लिखित रोगों यथा कैंसर, ब्लड कैंसर, एड्स / एच०आई०बी० (पॉजिटिव) हृदय रोग (बायपास सर्जरी अथवा एंजियोप्लास्ट्री किया गया हो) किडनी रोग (दोनों किडनी फेल हो जाने से डायलिसिस पर निर्भर, किडनी ट्रांसप्लान्ट किया गया हो अथवा एक किडनी निकाली गयी हो) ट्यूबरकुलोसिस (दोनों फेफड़े, संकमित हो अथवा एक फेफडा पूर्णतः खराब हो), स्पाईन की हड्डी टूटने सार्स (थर्ड स्टेज), मिर्गी एवं मानसिक रोग से ग्रसित कार्मिकों को स्थानान्तरण अधिनियम की धारा 3 (च) में उल्लिखित सक्षम स्तर का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने पर अनिवार्य स्थानान्तण से छूट अथवा अनुरोध के आधार पर स्थानान्तरण प्रस्तावित किया जा सकता है, किन्तु उपरोक्त रोगों के अतिरिक्त अन्य गम्भीर रोगों जिनका उल्लेख धारा 3(घ) में नहीं है ऐसे गम्भीर रोगों हेतु स्थानान्तरण अधिनियम की धारा 3 (च) में उल्लिखित सक्षम स्तर से निर्गत प्रमाण पत्र का परीक्षण महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा गठित समिति द्वारा किया जायेगा। यह समिति संस्तुति करेगी कि कार्मिक अमुक गम्भीर रोग से ग्रस्त है और इस रोग से ग्रसित होने के कारण सम्बन्धित कार्मिक की दुर्गम अथवा किसी विशेष स्थान पर तैनाती की जा सकती है अथवा नहीं। तदोपरान्त धारा 3 (च) में उल्लिखित सक्षम स्तर से निर्गत प्रमाण पत्र एवं उक्त समिति की संस्तुति सहित स्थानान्तरण अधिनियम की धारा 3 (घ) के आधार पर कार्मिक का स्थानान्तरण प्रस्ताव स्थानान्तरण अधिनियम की धारा 27 के अन्तर्गत गठित समिति को सन्दर्भित किया जायेगा।
4- यह भी कि स्थानान्तरण अधिनियम की धारा 7 (घ) से आच्छादित कार्मिकों को दुर्गम में स्थानान्तरण से छूट होने के कारण कतिपय कार्मिकों की सुगम क्षेत्र के एक ही कार्यालय में वर्षों से कार्यरत होने की स्थितियां उत्पन्न हो रही हैं। अतः यह निर्णय लिया गया है कि स्थानान्तरण अधिनियम की धारा 7 (घ) (दो) में उल्लिखित श्रेणी से आच्छादित कार्मिकों को सुगम के एक कार्यालय / जनपद में चार वर्ष पूर्ण होने के उपरान्त सुगम के दूसरे निकटवर्ती कार्यालय / जनपद जहां पद रिक्त हो, स्थानान्तरित किया जा सकेगा। पद रिक्त न होने की दशा में उक्त श्रेणी के दो कार्मिकों को पारस्परिक रूप से स्थानान्तरित किया जा सकता है।
5- शासन द्वारा यह भी निर्णय लिया गया कि किसी भी विभाग द्वारा भविष्य में स्थानान्तरण अधिनियम की धारा-17 (2) (ड) में उल्लिखित कारणों के अतिरिक्त संवर्ग परिवर्तन / संवर्ग से बाहर स्थानान्तरण के कोई भी प्रकरण स्थानान्तरण अधिनियम की धारा-27 के अन्तर्गत गठित समिति के विचारार्थ प्रस्तुत नहीं किये जायेंगे।
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