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शिक्षण में तकनीकी का उपयोग बन गया है समय की बड़ी जरूरत। शिक्षक स्वयं को रखें अपडेट- प्रांतीय संगठन मंत्री भुवन चन्द्र भट्ट।

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   विद्या भारती के प्रांतीय संगठन मंत्री भुवन चन्द्र भट्ट ने कहा है कि  शिक्षण में आईसीटी के साधनों का उपयोग आज समय की बड़ी जरूरत बन गयी है और इसके लिए शिक्षकों को स्वयं को अपडेट रखना होगा। पारंपरिक शिक्षण के साथ ही अध्यापन में नई तकनीकी के अनुप्रयोगों से अधिक सार्थक परिणाम मिलने तय हैं। उन्होंने नई टिहरी और चंबा नगरों के विद्या भारती से सम्बद्ध विद्यालयों के प्रधानाचार्यो व शिक्षकों के साथ आयोजित बैठक में शैक्षिक सुधार के लिए अनेक उपयोगी सुझाव दिए। सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज नई टिहरी में आयोजित बैठक में प्रांतीय संगठन मंत्री भुवन चन्द्र भट्ट ने नई टिहरी और चंबा नगर क्षेत्रों के सरस्वती शिशु मंदिर व विद्या मंदिरों के प्रधानाध्यापक और प्रधानाचार्यो से शैक्षिक प्रगति की जानकारी ली। इस दौरान उन्होंने अनेक आचार्यो से संवाद कर उनसे उपयोग की जा रही शैक्षिक तकनीकी की जानकारी भी ली।  इस अवसर पर उन्होंने कहा है कि मौजूदा दौर तकनीकी शिक्षण का दौर है। पारंपरिक शिक्षण के साथ इन्फॉर्मेशन ऐंड कॉम्युनिकेशन टैक्नोलॉजी का यदि सही उपयोग नही किया  जाएगा तो शिक्षण के सारे प्रयास अधूरे रह जाएंगे। उन्हो

बच्चों के मन से बोर्ड परीक्षा का भय और तनाव दूर करने के लिए एसवीएम नई टिहरी में आयोजित किया सेमिनार। वक्ताओं ने दिए अनेक उपयोगी सुझाव।

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   बोर्ड परीक्षा को लेकर विद्यार्थियों के मन से परीक्षा की जटिलता का भय और तनाव दूर करने के लिए सरस्वती विद्या मंदिर नई टिहरी में आयोजित सेमिनार में विद्यार्थियों को परीक्षा में बेहतरीन प्रदर्शन के लिए अनेक सुझाव दिए गए। इस अवसर पर डायट नई टिहरी के प्राचार्य चेतन प्रसाद नौटियाल सहित अनेक वक्ताओं ने बच्चों का खूब हौसला बढ़ाया।    सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज नई टिहरी में बोर्ड परीक्षार्थियों के मन से परीक्षा का भय व तनाव दूर करने के लिए आयोजित सेमिनार में बतौर मुख्य अतिथि जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान नई टिहरी के प्राचार्य चेतन प्रसाद नौटियाल सहित अनेक गणमान्यजनों ने बच्चों को परीक्षा के बेहतर अंक प्राप्त करने के लिए अनेक सुझाव दिए। कार्यक्रम का आरम्भ डायट प्राचार्य सीपी नौटियाल, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के टिहरी विभाग प्रचारक राजपुष्प जी व विद्यालय के प्रधानाचार्य देवीप्रसाद नौटियाल द्वारा सरस्वती वंदना और दीपप्रजवलित करने के साथ हुआ। इस अवसर पर डायट प्राचार्य द्वारा विद्यालय के विगत कई वर्षों के परीक्षा परिणामों की सराहना करते हुए गतवर्ष हाईस्कूल बोर्ड परीक्षा में राज्य में प्रथ

श्वसन की परिभाषा क्या है , इसके प्रकार , उदाहरण और मनुष्य के श्वसन तंत्र को जाने।

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Rekha Dobhal श्वसन : वे सभी क्रियाएँ जो ऑक्सीकरण द्वारा खाद्य पदार्थों से रासायनिक ऊर्जा मुक्त करने से सम्बन्धित होती है , श्वसन कहलाती है। स्वशन दो प्रकार का होता है – बाह्य श्वसन : वातावरण से ऑक्सीजन ग्रहण करने तथा CO2 बाहर निकालने की क्रिया को बाह्य श्वसन कहते है | आन्तरिक श्वसन : ऑक्सीजन के उपयोग तथा ATP व CO2 उत्पादन से सम्बन्धित प्रक्रियाएँ आंतरिक या कोशिकीय श्वसन कहलाता है | प्राणियों में गैसों का आदान प्रदान हेतु निम्न संरचनाएं पायी जाती है – शरीर की सामान्य सतह द्वारा :  जलीय व अर्द्धजलीय वातावरण में रहने वाले जीवों में गैसों का आदान प्रदान सामान्य सतह द्वारा होता है , इन प्राणियों में श्वसन अंगो का अभाव होता है | उदाहरण – अमीबा , स्पंज , मेंढक इत्यादि | क्लोम (gills) के द्वारा :  ये गैस विनिमय के विशिष्ट अंग होते है , क्लोम के द्वारा प्राणियों में जलीय श्वसन होता है , ऑक्सीजन क्लोम द्वारा ग्रहण की जाती है तथा co2 बाहर निकाली जाती है | मछलियों में क्लोम गिल दरारों में पाये जाते है | उदाहरण – मछलियाँ , मोलस्का व कुछ आर्थोपोड़ा के सदस्य | ट्रेकिया या श्वासनली द्वारा :  कीटो व कुछ

circulatory system: परिसंचरण तंत्र या वाहिकातंत्र पर उपयोगी नोट्स यहाँ पढ़ें

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  Rekha Dobahl, TGT Science.      परिसंचरण तंत्र  या वाहिकातंत्र ( circulatory system)   अंगों   का वह समुच्चय है जो  शरीर   की कोशिकाओं के बीच पोषक तत्वों का यातायात करता है। इससे रोगों से शरीर की रक्षा होती है तथा शरीर का ताप एवं  pH   स्थिर बना रहता है।  अमिनो अम्ल ,  विद्युत अपघट्य ,  गैसें ,  हार्मोन ,  रक्त   कोशिकाएँ   तथा  नाइट्रोजन   के अपशिष्ट उत्पाद आदि परिसंचरण तंत्र द्वारा यातायात किये जाते हैं। केवल रक्त-वितरण नेटवर्क को ही कुछ लोग वाहिका तंत्र मानते हैं जबकि अन्य लोग  लसीका तंत्र   को भी इसी में सम्मिलित करते हैं।    मानव एवं अन्य कशेरुक प्राणियों के परिसंचरण तंत्र , ' बन्द परिसंचरण तंत्र '  हैं (इसका मतलब है कि रक्त कभी भी धमनियों ,  शिराओं ,  एवं केशिकाओं के जाल से बाहर  नहीं  जाता)। अकशेरुकों के परिसंचरण तंत्र , ' खुले परिसंचरण तंत्र '  हैं। बहुत से तुच्छ ( primitive animal)  में परिसंचरन तंत्र होता ही नहीं। किन्तु सभी प्राणियों का  लसीका तंत्र   एक खुला तंत्र होता है।         वाहिकातंत्र  हृदय ,  धमनियों   तथा  शिराओं   के समूह का नाम है। धमनियों और श